फिर उठी संसद में उत्तराखंड की लोकभाषाओं को संवैधानिक दर्जा देने की मांग (वीडियो)

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उत्तराखंड की लोकभाषाओं को संवैधानिक दर्जा देने की मांग एक बार फिर भारतीय संसद में उठी है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और गढ़वाल लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड की लोक भाषाओं को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए संसद में मांग रखी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड प्रदेश की लोक भाषओं गढ़वाली, कुमाउंनी एवं जौनसारी को संवैधानिक दर्जा देने के संबंध में सदन को अवगत कराना चाहता हूँ उत्तराखण्ड प्रदेश देवों की भूमि हैं यहां के लोग सरल आस्थवादी एवं राष्ट्रवादी लोग हैं,यहां की रमणीकता एवं सौन्दर्यता किसी से छुपी नहीं है यहाँ पर तीर्थ स्थलों के साथ साथ पर्यटन स्थल भी हैं।



जिस प्रकार प्रदेश की सौन्दर्यता है उसी प्रकार यहां की लोकभाषाएं भी सुन्दर एवं लोकप्रिय हैं जिस प्रकार अन्य प्रदेशों की वहां प्रचलित लोक भाषा जैसे पंजाबी, गुजराती, बंगाली, कन्नड, तेलगू, मलयालम आदि भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया है उसी प्रकार उत्तराखण्ड प्रदेश की तीनों लोक भाषाओं गढ़वाली, कुमाउंनी एवं जौनसारी को भी संविधान की आठवीं अनुसूचि में सम्मिलित किया जाए, जिससे प्रदेश के लोग भी अपनी लोक भाषा को बोलने पढ़ने लिखने में गौरान्वित महसूस करे।