हर साल 300 विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा देते हैं बागेश्वर के ललित जोशी, नशामुक्ति अभियान के तहत आठ लाख विद्यार्थियों को कर चुके हैं प्रेरित

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बागेश्वर। मन में कुछ बड़ा करने की प्रबल इच्छाशक्ति होने पर राह खुद मिलने लगती है। यह कहावत चरितार्थ काफलीगैर क्षेत्र के हरखोला गांव निवासी ललित मोहन जोशी पर सटीक बैठती है। 21 साल पहले जेबखर्च निकालने के लिए पूर्णागिरी मंदिर में प्रसाद बेचने वाले जोशी वर्तमान में देहरादून में दो कॉलेजों का संचलन कर हजारों युवाओं का कॅरियर बनाने में मदद कर रहे हैं। हर साल वह 300 गरीब विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा भी प्रदान करते हैं।

ललित मोहन जोशी के पिता अल्मोड़ा मैग्नेसाइट कंपनी से सेवानिवृत हैं, जबकि माता जानकी जोशी गृहणी हैँ। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले जोशी ने पहली से आठवीं तक की शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर और विवेकानंद विद्या मंदिर काफलीगैर से हासिल की। हल्द्वानी के एमबी कॉलेज से इंटर, देहरादून से स्नातक करने के बाद एमबीए किया। उन्होंने एलएलबी, एलएलएम और मास्टर इन सोशल वर्क का डिप्लोमा भी हासिल किया है। शिक्षा को सबसे बड़ा धन मानने वाले जोशी सजग इंडिया कार्यक्रम के तहत नशा उन्मूलन अभियान भी चलाते हैं। वर्ष 2008 में उन्होंने प्रदेश के स्कूलों में नशामुक्त अभियान की शुरूआत की थी। कोविड से पहले वर्ष 2020 तक वह प्रदेश के करीब 1500 विद्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम कर आठ लाख युवाओं को नशामुक्ति का संदेश दे चुके हैं। 2011-12 में उन्होंने रोजगारपरक शिक्षा देने के उद्देश्य से उत्तरांचल इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पिटेलिटी मैनेजमेंट एंड टूरिज्म नामक शिक्षण संस्थान शुरू किया। 2016 में कई नए कोर्स जोड़े गए। 2019 में प्रदेश के पहले नर्सिंग कॉलेज सीआईएमएस को टेकओवर किया। वर्तमान में वह दोनों कॉलेज के चेयरमैन का पद संभाल रहे हैं। उनके दोनों कॉलेजों में 30 कोर्स का संचालन किया जाता है। वर्ष 2020 में कोविड के बाद उन्होंने 100 जरुरतमंद विद्यार्थियों को गोद लेकर निशुल्क कॅरियर शिक्षा देना शुरू किया था। 2022 में सुपर-300 कार्यक्रम की शुरूआत की। जिसके तहत दोनों कॉलेज में संचालित 30 कोर्स में से प्रत्येक कोर्स की 10 सीटें गरीब तबके के विद्यार्थियों के लिए रखी गई हैंँ। प्रदेश भर से चयनित 300 विद्यार्थियों से इन कोर्स की ट्यूशन फीस नहीं ली जाती है। पिछले साल उन्होंने देहरादून में उत्तराखंड डिफेंस एकेडमी भी शुरू की है। कॉलेजों के संचालन में उनके भाई संजय जोशी, भाभी बबीता जोशी और पत्नी सपना जोशी भी मदद करते हैं। ललित जोशी ने पूर्णागिरी मंदिर में प्रसाद बेचने के अलावा ललित मोहन जोशी ने संविदा नौकरी, कंप्यूटर ऑपरेटर, देरहादून के विभिन्न कॉलेजों में शिक्षण और प्रबंधन का काम किया। दुबई, मलेशिया, मॉरीशस, सिंगापुर समेत कई देशों की यात्रा की और अपने हर काम के अनुभव का लाभ समाज को दिया। उन्हें 2018 में नशा उन्मूल के लिए पुलिस वीरता सम्मान, यूथ आइकन नेशनल सम्मान, राज्य वाद्य यंत्र सम्मान, युवा आह्वान सम्मान, 2019 में कूर्मांचल रत्न सम्मान, 2023 में उत्तराखंड श्री सम्मान, 2022 में इंस्पायर अवॉर्ड, 2023 में चिकत्सा शिक्षा के लिए चिकित्सा सेवा सम्मान, पुनरुत्थान साथी सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।