तड़के कुमाऊं में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 3.1 मापी गई तीव्रता

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भूकंप जैसे ही आया, लोग अपने घरों से बाहर निकलकर खुले मैदान में आ गए ।हालांकि, कुछ लोगों ने बताया कि शुरू में तो उनको पता ही नहीं चला कि क्या हो रहा है।

उत्तराखंड (Uttarakhand) में आज यानि सोमवार को सुबह में भूकंप के झटके महसूस किए गए।भूकंप का केंद्र पिथौरागढ़ ( Pithoragarh) में जमीन से 5 किमी की गहराई पर था। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप की तीव्रता काफी हल्की थी। इसे रिक्टर स्केल पर 3.1 मापा गया।हालांकि, भूकंप की वजह से कोई जान-माल की नुकसान की खबर नहीं है।

बताया जा रहा है कि भूकंप के झटके जैसे ही आए, लोग अपने घरों से बाहर निकलकर खुले मैदान में आ गए। हालांकि, कुछ लोगों ने बताया कि शुरू में तो उनको पता ही नहीं चला कि क्या हो रहा है। घर में रखी कुर्सियां और बेड अचानक हिलने लगे। तब महसूस हुआ कि संभवत: यह भूकंप है। वहीं, कुछ लोग ये भी चर्चा करते रहे कि अगर भूकंप की तीव्रता ज्यादा होती तो बड़ा नुकसान हो सकता था।

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इसी साल उत्तराखंड के उत्तराकाशी में मार्च में ही भूकंप के तीन झटके महसूस किए गए थे. पहला भूकंप का झटका सिरोर जंगल में और दूसरा झटका भी इसके थोड़ी देर बाद ही आया. वहीं, तीसरा झटके की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 1.8 मापी गई थी. भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी ही था. वैसे देखा जाए तो पिछले दो महीने में उत्तराखंड में भूकंप के 12 से अधिक झटके महसूस किए गए हैं. इसी महीने निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.

भूकंप के केंद्र के आसपास सबसे ज्यादा होता है नुकसान
वैसे भूकंप जिसकी तीव्रता 2.0 से कम होती है, इसे माइक्रो कैटेगरी में रखा जाता है। ऐसे भूकंप के झटकों को जल्दी महसूस नहीं किया जा सकता।विशेषज्ञ ही खास तकनीक से इस टाइप के भूकंप के झटकों के बारे में पता लगा सकते हैं। 2.0 से लेकर 2.9 तीव्रता वाले भूकंप के झटकों को माइनर श्रेणी में रखा जाता है. वहीं, 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले झटकों को हल्का माना जाता है। जो स्थान भूकंप के केंद्र के सबसे नजदीक होता है, वहां सबसे ज्यादा नुकसान ज्यादा होता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जब भी भूकंप आता है, तो लोगों को खुले मैदान में आ जाना चाहिए। भीड़-भाड़ वाली जगह से लोगों को दूर हट जाना चाहिए।

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