शुरू हुआ चातुर्मास, चार महीने तक भगवान विष्णु करेंगे शयन, भगवान शिव करेंगे सृष्टि का संचालन

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आज सनातन धर्म के लोग घर में करते हैं तुलसी रोपण
बागेश्वर। रविवार को हरिशयनी या देवशयनी का पर्व है, इसे तुलसी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म को मानने वाले आज के दिन घर मे तुलसी रोपते हैं। आज के दिन से ही चातुर्मास का आगाज माना जाता है। आज से सृष्टि के पालनकर्ता और संचालक भगवान विष्णु चार महीने के शयन या योगनिद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी भगवान शिव निभाते हैं।
पंडित गणेश चंद्र तेवाड़ी ने बताया कि कुछ लोग रविवार को तुलसी रोपने को लेकर संशय में हैं, जबकि रविवार के दिन तुलसी लगाने का निषेध नहीं है,केवल तोड़ने का निषेध है। जिसके चलते रविवार एकादशी के दिन ही तुलसी लगाई जाएगी। जिनके घरों में तुलसी वृक्ष नहीं हैं,उन्हें तुलसी वृक्ष “हरिशयनी एकादशी”में ही लगाने चाहिए,एवं भक्तिपूर्वक उनका पूजन,आराधन करना चाहिए।
पंडित तेवाड़ी ने बताया कि आज से चातुर्मास व्रत का भी शुभारंभ होता है। चातुर्मास आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरु होकर चातुर्मास कार्तिक शुक्ल की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पूर्ण होता है। पुराणों के अनुसार इस वक्त भगवान विष्णु क्षीर सागर की अनन्त शैय्या पर योगनिद्रा के लिए चले जाते हैं। चातुर्मास के प्रारम्भ की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस चौमासे के अंत में जो एकादशी आती है उसे देव उठनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान के उठने का समय होता है। इन चार महीनों में श्री विष्णु शयन करते हैं, जिसके चलते इन महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता।
धर्म शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के संचालन का कार्य भगवान विष्णु के हाथ में रहता है, लेकिन उनके शयनकाल में चले जाने के कारण सृष्टि के संचालन का कार्यभार भगवान शिव और उनके परिवार पर आ जाता है। चातुर्मास में भगवान शिव और उनके परिवार से जुड़े व्रत-त्यौहार आदि मनाए जाते हैं। श्रावण माह पूरा भगवान शिव को समर्पित रहता है। इसमें श्रद्धालु एक माह उपवास रखते हैं। शिव मंदिरों में विशेष अभिषेक पूजन आदि संपन्न किए जाते हैं। भाद्रपद माह में दस दिनों तक भगवान श्रीगणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है। आश्विन माह में देवी दुर्गा की आराधना शारदीय नवरात्रि के जरिए की जाती है।