रक्षाबंधन पर ऐपण वाली राखी से सजेंगी भाइयों की कलाइयां, घर बैठे मिलेंगी कुंजिका की बनाई राखियां

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कमल कवि कांडपाल

चम्पावत। रक्षाबंधन पर बाजार रंग बिरंगी राखियों से सजने लगे हैं तरह तरह की राखियां बाजारों में उपलब्ध हैं इस बीच पारंपरिक एपण आर्ट से हस्त निर्मित राखियों ने भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है । हस्तनिर्मित ऐपण राखियां भाईयों की कलाई पर खूब जमती हैं। वहीं इसके निर्माण में लगे हुए कलाकारों के चेहरे पर भी खुशियां लेकर आती है। इसका उदाहरण है सुंदर पहाड़ी वादियों कुमाऊं का जिला चंपावत के लोहाघाट की बेटी कुंजिका वर्मा। कुंजिका ऐपण कला के संवर्धन, संरक्षण का मोर्चा संभाले हुए है।
ऐपण उत्तराखंड की महिलाओं द्वारा प्रचलित एक पारंपरिक लोक कला है जो विशेष अवसरों और अनुष्ठानों पर घर की दीवारों पूजा स्थलों पर उकेरी जाती हैं और शुभ मानी जाती हैं।


समय के साथ ऐपण कला में हो रहा है बदलाव
लोगों का मानना ​​​​है कि ऐपण दैवीय शक्ति का आह्वान करता है जो सौभाग्य लाता है और बुराई को रोकता है। गेरू या लाल मिट्टी के ऊपर चावल के आटे से बने सफेद पेस्ट से कलाकृति बनाई जाती है। बदलते दौर में गेरू के बदले लाल पेंट और बिस्वार (चावल के आटे) के बदले सफेद पेंट का प्रयोग भी किया जाने लगा है।ऐपण अक्सर पूजा कक्षों के फर्श और दीवारों और घरों के प्रवेश द्वार पर बनाये जाते है। ऐपण गर्ल कुंजिका वर्मा ने लाकडाउन के समय घर बैठै एपण कला की शुरुआत की थी वर्तमान में कुंजिका उत्तराखंड के प्रमुख ऐपण कलाकारों में से एक हैं। वह बेहतरीन तरीके से इस कला को संरक्षित कर रहीं है।
कुंजिका वर्मा राष्ट्रीय स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक इस पारंपरिक ऐपण कला को पहचान दिला रहीं है ।
कुंजिका वर्मा उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत के रूप में हैं, जो लोग व्यवसाय की तलाश में राज्य छोड़ देते है। या फिर रोजगार की तलाश में चिंतित रहते हैं कुंजिका न केवल इस कला को संरक्षित कर रहीं है बल्कि अपनी एक टीम बनाकर कई महिलाओं को अपने साथ जोड़ रही है,जुड़ी हुई मातृशक्ति ऐपण कला से अपना घर खर्च भी चला रहीं है।
कुंजिका कुशन कवर,नेम प्लेट,पेन स्टैंड,पूजा की थाली,चौकी, रक्षाबंधन पर राखियां से लेकर कई तरह के सजावटी सामानों ऐपण कला का इस्तेमाल कर उनको और अधिक आकर्षक बना रही हैं। दर्पण टुडे की टीम को उन्होंने बताया कि इस कार्य में उनके परिवार के साथ साथ ही अन्य लोग भी उनके काम की काफी सराहना कर रहें है। कुंजिका का मानना है कि ऐसा करने से जहां पारम्परिक ऐपण कला संरक्षित तो हो ही रही है साथ में नई पीढ़ी भी एपण आर्ट की ओर आकर्षित हो रही है।

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लोगों को भा रही है कुंजिका की एपण वाली राखियां
कुंजिका वर्मा ने बताया कि उनकी बनाई राखियां फेसबुक , इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के माध्यम से ऑनलाइन हाथों हाथ बिक रही हैं। कुंजिका की ओर से तैयार की गई विभिन्न प्रकार की राखियों की खासियत यह है कि इन्हें खरीदने वाला अपना नाम अथवा फोटो भी लगवा सकता है। कोई भी ऑनलाइन ग्राहक व्हाट्सएप और फेसबुक के माध्यम से फोटो भेज कर राखी में फोटो लगवा सकते हैं। कुंजिका की ओर से बनाई गई राखी अलग अलग लागत की है। इसके अलावा कुंजिका चाबी के छल्ले, ऐपण और पेंटिंग्स बनाकर भी ऑनलाइन बेचती हैं। उनका फेसबुक , इंस्टाग्राम पर कुंज आर्ट वर्क नाम से है। जिससे वह अपने द्वारा बनाए गए पेंटिंग, राखी, ऐपण, कलश, चाबी के छल्ले, ड्रीमकैचर, विंड चाइम्स आदि का प्रचार-प्रसार करती हैं।

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