नारी तू नारायणी: काकड़ा की पायल ने पिता को किया लीवर दान, अंगदान कर बचाई पिता की जान

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कमल कवि कांडपाल

बागेश्वर। सनातन धर्म में महिला को देवी का रूप माना जाता है। नारी ने समय-समय पर अपने कार्यों और बलिदान से इसे साबित भी किया है। बागेश्वर जिले की एक बेटी ने अपने पिता के जीवन की रक्षा के लिए अपना लीवर दान कर नारी तू नारायणी की कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है।


काकड़ा (खोली) बागेश्वर के बिपिन कांडपाल को लीवर की समस्या थी। हल्द्वानी में चिकित्सा सफल नहीं होने पर परिजन उन्हें एम्स ऋषिकेश ले गए। जहां से उन्हें दिल्ली आईएलबीएस को रेफर कर दिया गया। उनकी जान बचाने के लिए लीवर डोनर की खोज शुरू हुई, पर निराशा हाथ लगी। परिवार निर्णय लेता है कि उन्हें निजी अस्पताल में रखा जाए, जहां पर लीवर डोनर मिलना आसान हो सकता है। मेदांता, गुरुग्राम में खर्च होते बिपिन कांडपाल का इंतजार लंबा हो रहा था और तबीयत बिगड़ती जा रही थी, लेकिन कोई डोनर नहीं मिला।
अब परिवार के ही सदस्यों का लीवर डोनेट करने का ऑप्शन बचा था। पत्नी आगे आती हैं लेकिन टेस्ट में लीवर फैटी होने के बात सामने आ जाती है। बेटा अंडर वेट निकलता है। बड़ी बेटी प्रिया तिवारी अपनी बात रखती है लेकिन उसके विवाहित होने के कारण कानूनी, कागजी दांवपेंच आड़े आते हैं और परिवार मायूस हो जाता है।

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पायल बनी जीवनदात्री

परिजनों की परेशानी के बीच रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली से आखों का डॉक्टर बनने की पढ़ाई कर रही छोटी बेटी पायल मिलने आती है। निराशा भरे माहौल को देखते हुए अपने पिता की जान बचाने के लिए खुद का लीवर डोनेट करने की बात करती है। रिश्तेदार, डॉक्टर्स बेटी को उसके कैरियर, भविष्य को लेकर समझाते हैं, कांप्लीकेशंस बताते हैं, मगर पिता बीमार हों तो बेटी भला कैसे उनकी मदद न करती। पायल चिकित्सकों से अपनी बात मनवा लेती है। आखिरकार उसकी जिद जीत जाती है। पायल के मेडिकल कालेज से दो महीने की छुट्टी मांगी जाती है। स्वीकृत होने पर सारे टेस्ट होते हैं। डीएनए मैच, बायोप्सी नॉर्मल। पिता और पुत्री दोनों का ऑपरेशन होता है। पिता को पुत्री अपना अंग देकर जीवनदायिनी बन जाती है। अभी महीनों लगेंगे चल फिर पाने में बिटिया को। डॉक्टर्स का कहना है कि पायल का आत्मविश्वास उसे रिकवर करने में मदद कर रहा है। मानसिक रूप से मजबूत बिटिया जल्द ही अपनी पढ़ाई पूरी करने अपने साथियों के बीच होगी।