न्यायालय ने 1971 के मैडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट का हवाला देते हुए गर्भपात के लिए दी गई समय सीमा पर भी गौर करते हुए यह निर्णय लिया।
नैनीताल। 13 साल किशोरी के पिता और परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें यौन उत्पीड़न के बाद गर्भावस्था की स्थिति के समाधान के लिए देहरादून के सीएमओ, दून चिकित्सालय को निर्देश देने की प्रार्थना की गयी थी।
अधिकारियों की देखरेख में कराया जाये गर्भपात
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नाबालिग 13 साल की किशोरी के गर्भपात की अनुमति देते हुए मेडिकल बोर्ड की टीम बनाने के निर्देश दिये हैं। न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने गर्भपात एक्सपर्ट डाक्टरों के पैनल की देखरेख में कराने की बात भी कही है। इस केस की अगली सुनवाई 9 दिसम्बर यानि आज होनी है। हाईकोर्ट के समक्ष पिता, पीड़ित पुत्री वर्चुअली उपस्थित हुए। न्यायालय ने अधिकारियों को मेडिकल बोर्ड का गठन कर संवेदनशीलता से कार्य करने को कहा।
कोर्ट ने देहरादून अस्पताल की प्रमुख डा. चित्रा जोशी से किसी भी नाजुक स्थिति में अपने विवेक से काम लेने के लिए भी कहा है। न्यायालय ने 1971 के मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि गर्भपात के लिए दी गयी समय सीमा पर भी गौर करते हुए निर्णय लिया। न्यायालय ने मेडिकल बोर्ड से कहा कि किशोरी के पिता से लिखित में अनुमति ले ली जाये, इसमें न्यायालय में वर्चुअली दी गयी अनुमति का भी जिक्र किया जाये।