बागेश्वर। वीरता और साहस के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाली उत्तराखंड की कई महिलाओं को आज विधानसभा में ‘नंदा देवी वीरता सम्मान’ से नवाजा गया। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने महिलाओं को सम्मानित किया। श्री नंदा देवी राजजात पूर्व पीठिका समिति की ओर से हर साल अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। इस बार पर्वतीय क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में कार्यरत महिला को सम्मान दिया जा रहा है।
कार्यक्रम में केंद्रीय समाज कल्याण राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण, समाज कल्याण मंत्री चंदन रामदास, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया और दून विवि की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल शामिल हुए। यूकेएसएसएससी के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया ने कहा कि जो गांव 1962 में वीरान हो गए, वह आज भी वैसे ही हैं। करीब 14 गांव ऐसे हैं। महिलाएं वहां छह माह काम करके स्थानीय उत्पादों से लोगों को वापस लाने की कोशिश करती हैं। कुछ जनजातियां ऐसी हैं जिनकी संख्या वहां महज 800 रह गई हैं। वो विलुप्ति की कगार पर हैं। टनकपुर से नीति घाटी तक हम टनल से जोड़ सकते हैं।
बागेश्वर जिले की इन महिलाओं को मिला सम्मान।• अनीता टम्टा : गंगनाथ स्वयं सहायता समूह के माध्यम से (देवलधार) बागेश्वर की वीरांगना अनिता टम्टा ने कोरोना काल में मास्क बनाकर, इंदिरा अम्मा भोजनालय संचालित करने सहित हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में कार्य कर क्षेत्र की कई महिलाओं को स्वरोजगार के साथ जोड़ा। • आशा देवी: बागेश्वर के अनर्सा की रहने वाली वीरांगना आशा देवी ने सैकड़ों स्वयं सहायता समूह एवं ग्राम संगठन बना कर क्षेत्र की महिलाओं के लिए स्वरोजगार पैदा किया। • तारा टाकुली: कपकोट बागेश्वर में तारा टाकुली ने विभिन्न समाज सेवा के कार्यों से महिलाओं को जागरूक करने की दिशा में कार्य किया ।