उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा की श्रेष्ठता सूची के लिए विद्यार्थियों ने अथक मेहनत की। हजारों परीक्षार्थियों के बीच जिन विद्यार्थियों ने वरीयता सूची में जगह बनाई, उनमें कई आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चे शामिल हैं। जिन्होंने संघर्षों से पार पाते हुए प्रदेश स्तर पर मुकाम बनाया। श्रेष्ठता सूची में शामिल जीवन जोशी का संघर्ष सबसे अलग था। वह न सिर्फ आर्थिक संकटों से जूझा बल्कि परीक्षा के दिन उसने अपने पिता को भी खो दिया। पहले पिता का अंतिम संस्कार फिर परीक्षा देने वाले बालक ने विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारी। उसने पितृशोक में डूबे होने के बावजूद न सिर्फ परीक्षा दी, बल्कि हाईस्कूल परीक्षा परिणाम में 94.80 प्रतिशत अंक हासिल कर वह प्रदेश की श्रेष्ठता सूची में 21वा स्थान भी हासिल किया।
कपकोट के दूरस्थ गांव पोथिंग के रहने वाले जीवन के पिता तारा दत्त जोशी को नौकरी के दौरान ही उन्हें कैंसर हो गया। करीब दो साल तक इलाज कराने के बाद इस साल बोर्ड परीक्षा के दौरान उनका निधन हो गया। जिस दिन उनका निधन हुआ, उनके पुत्र जीवन की सामाजिक विज्ञान की परीक्षा थी। परीक्षा का तनाव और पिता के निधन से का शोक भी जीवन के हौसले को डिगा नहीं सका। उसने पहले पिता का अंतिम संस्कार किया और बाद में सामाजिक विज्ञान की परीक्षा दी। गमगीन माहौल में दिए गए इस प्रश्नपत्र में उसे सर्वाधिक 98 अंक मिले हैं। पिता के निधन के चार दिन बाद हुई संस्कृत की परीक्षा में 94, हिंदी में 88, गणित में 97, विज्ञान में 97 और अंग्रेजी में 93 अंक हासिल कर जीवन सरकारी विद्यालयों से प्रदेश की श्रेष्ठता सूची में नाम दर्ज कराने वाले जिले के एकमात्र छात्र रहे। शानदार उपलब्धि के बाद जीवन का आगे का संघर्ष बढ़ गया है। उसे इंटर की पढ़ाई के लिए गांव से बाहर जाना होगा, ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर जीवन के पास फिलहाल भगवान का ही सहारा है।