कमल कवि कांडपाल।
दो धुर विरोधी एक दूसरे पर गंभीर और बड़े आरोप लगाने वाले तथाकथित नेता और पत्रकार जो पिछले 6 सालों से उत्तराखंड देवभूमि का वातावरण दूषित कर रहे थे अब आपस में एक होने वाले हैं। कहने का मतलब एक का आरोप महा भ्रष्टाचारी दूसरे का आरोप ब्लैकमेलर कुल मिलाकर महा भ्रष्टाचारी और ब्लैकमेलर अब हाथ मिलाएंगे। ऐसा कोई और नहीं कह रहा बल्कि देश का प्रतिष्ठित अखबार हिंदुस्तान का मुख्यपृष्ठ कह रहा है कि उमेश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत यानी कि शिकायतकर्ता और सरकार एक मंच पर।
अब जनता के भी कुछ सवाल है इन लोगों से जो सबके सामने आने चाहिए उमेश कुमार पिछले 6 सालों से त्रिवेंद्र सिंह रावत के पीछे क्यों पड़े रहे? आखिर किसके कहने में वह त्रिवेंद्र सरकार के स्टिंग कर रहे थे? त्रिवेंद्र महा भ्रष्टाचारी है राज्य को नासूर की तरह खत्म कर रहे हैं किस के आरोप थे? क्यों सार्वजनिक मंचों से त्रिवेंद्र सरकार उमेश कुमार को ब्लैकमेलर और ना जाने कैसे-कैसे शब्दों की उपाधि दे रही थी?
अभी कुछ दिन पूर्व राज्य सरकार के द्वारा एसएलपी वापस लेने पर क्यों इतना हंगामा बरपा त्रिवेंद्र और उमेश कुमार के अलग-अलग बयानों को पिछले हफ्ते देख लीजिए हकीकत पता चल जाएगी। अब उमेश कुमार से एक सवाल पूर्व मुख्यमंत्री पर लगे आरोप और उनके पास सबूत जैसे वह अक्सर फेसबुक लाइव पर बताते हैं उनका क्या होगा? उनके सलाहकार की जांचों का क्या होगा? क्या आप किसी के कहने पर यह सब कर रहे थे? अब उसका दबाव है कि समझौता करके मामले को निपटा दो। क्योंकि अब उस तक जांच की आंच आ रही है। क्या वह दिल्ली में बैठा है? अगर उमेश कुमार ब्लैकमेलर है तो फिर वह समझौता क्यों कर रहे हैं? क्या डर गए? ब्लैक मेलिंग की कोई धनराशि अंदर खाने तय हो चुकी है या उमेश कुमार डर गये हैं?