आदिवासी महिला बनीं महामहिम, जश्न में डूबा देश, जानिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संघर्षपूर्ण जीवन की कुछ बातें

ख़बर शेयर करें -

कमल कवि कांडपाल

भाजपा और एनडीए की संयुक्त उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करते ही गुरुवार का दिन भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है। 1947 में देश के आज़ाद होने के 75 साल बाद किसी आदिवासी समाज के व्यक्ति को रायसीना हिल की तक पहुंचने का मौका मिला है। आदिवासी समाज के लिए गर्व की बात है उन्हें यह खुशी एक बेटी ने प्रदान की है। इतना ही नहीं भारत के अब तक बने 15 राष्ट्रपति में वह केवल दूसरी महिला हैं, जो इस पद की गरिमा को बढ़ाएंगी।

अपनी मेहनत और संघर्ष के दम पर राष्ट्रपति बनने वाली द्रौपदी का बचपन बेहद अभावों और गरीबी में बीता, लेकिन अपनी स्थिति को उन्होंने अपनी मेहनत के आड़े कभी नहीं आने दिया। उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी विमेंस कॉलेज से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की और शिक्षा को अपनी शक्ति बनाकर तमाम उपलब्धियां अपने नाम की।

यह भी पढ़ें 👉  ब्रेकिंग: भारतीय सेना का चीता हेलीकॉप्टर क्रैश, पायलट लापता

द्रौपदी का जन्म ओडिशा के मयूरगंज जिले के बैदपोसी गांव में 20 जून 1958 को हुआ था। द्रौपदी संथाल आदिवासी जातीय समूह से संबंध रखती हैं। उनके पिता बिरांची नारायण टुडू एक किसान थे। द्रौपदी की शादी श्यामाचरण मुर्मू से हुई। उनसे दो बेटे और दो बेटी हुई। उन्होंने 1979 से 1983 तक सिंचाई और बिजली विभाग में कार्य किया। इसके बाद 1994 से 1997 तक टीचर के रूप में कार्य किया था।

1997 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा। ओडिशा के राइरांगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। इसके बाद वह जिला परिषद की उपाध्यक्ष भी चुनी गईं। वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव लड़ीं। राइरांगपुर विधानसभा से विधायक चुने जाने के बाद उन्हें बीजद और भाजपा गठबंधन वाली सरकार में स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया। 

यह भी पढ़ें 👉  ब्रेकिंग: भारतीय सेना का चीता हेलीकॉप्टर क्रैश, पायलट लापता

2002 में मुर्मू को ओडिशा सरकार में मत्स्य एवं पशुपालन विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया। 2006 में वह भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष बनीं। 2009 में वह राइरांगपुर विधानसभा से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतीं। इसके बाद 2009 में वह लोकसभा चुनाव भी लड़ीं, लेकिन जीत नहीं पाईं। 2015 में द्रौपदी को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। 2021 तक उन्होंने राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। राष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा ने उन्हें पहली आदिवासी महिला के तौर पर उम्मीदवार घोषित किया। उन्हें एनडीए के घटक दलों के अलावा विपक्ष के कई सांसदों और विधायकों के वोट मिले और आसानी से चुनाव जीतकर वह भारत की 15वीं राष्ट्रपति बन गईं।

Ad Ad

Leave a Reply

Your email address will not be published.