सामान्य परिवार से डीएम तक का सफर, बागेश्वर की नई जिलाधिकारी की प्रेरक कहानी

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2016 बैच की उत्तराखण्ड कैडर की आईएएस अधिकारी अनुराधा पाल मूल रूप से राज्य के हरिद्वार जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली आईएएस अधिकारी अनुराधा ने अपने सपनों का बोझ गरीब माता-पिता पर तनिक भी नहीं डाला। गांव के एक बेहद साधारण परिवार में जन्मी अनुराधा ने आईएएस की कोचिंग के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ा-पढाकर‌ पैसे जुटाए और उनसे अपनी कोचिंग क्लास की फीस दी। दिल्ली में रहते हुए भी उन्होंने कभी पिता पर पैसों का बोझ नहीं डाला। बार-बार असफल होने के बावजूद उन्होंनेहार नहीं मानी, अंततः अपने कठिन परिश्रम के बलबूते सिविल सेवा परीक्षा 2015 में हिंदी माध्यम की टॉपर बन गई। मेरिट सूची में उन्हें 62 वां रैंक मिली थी। बताते चलें कि अब तक पिथौरागढ़ जिले के मुख्य विकास अधिकारी की जिम्मेदारी संभाल रही अनुराधा पाल को शासन ने जिलाधिकारी बागेश्वर की जिम्मेदारी दी है।

अनुराधा पाल एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि जिस गांव से रहती थी वहां बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी रहती थी। हालांकि उनकी शुरूआती पढ़ाई गांव के ही स्कूल से हुई। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई जीबी पंत विश्वविद्यालय से पूरी की।जिस दौरान वो स्नातक में फाइनल ईयर में थी तभी उनका सिलेक्शन एक अच्छी खासी कंपनी में हो गया था। हालांकि अनुराधा ने अपने करियर कि शुरुआत कॉलेज ऑफ टेक्नॉलाजी रुड़की से प्रोफेसर के पद से की थी।यहां उन्होंने 3 साल नौकरी की।

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62वीं रैंक हासिल कर बनीं IAS अधिकारी
दूसरी बार साल 2015 की यूपीएससी परीक्षा में उन्हें सफलता मिल गई। इस परीक्षा में उन्हें पूरे देश में 62वीं रैंक हासिल हुई. रैंक अच्छी आने के कारण उन्हें आईएएस अधिकारी बनने का मौका मिला।उनकी इस सफल से उन्होंने पूरे परिवार का नाम रौशन कर दिया।
अनुराधा पाल फिलहाल पिथौरागढ़ में सीडीओ के पद पर कार्यरत थी उनकी सफलता देश की तमाम ग्रामीण क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाली लड़कियों के लिए प्रेरणा है। वो अपनी सफलता के लिए सबसे ज्यादा मां का योगदान मानती हैं।

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