पिता ने क्षेत्र में बनाई पहचान, पुत्र विदेश में बना रहा मुकाम

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बागेश्वर। कहते हैं कि बच्चे का भविष्य तय करने में परिवार की अहम भूमिका रहती है। परिवार में होने वाली गतिविधियां ही बच्चों को अपना लक्ष्य तय करने में मदद करती है। इस बात को सच साबित कर रहे हैं गरुड़ विकास खंड के द्यौनाई निवासी ‌समाजसेवी डॉ. किशन सिंह राणा और उनके ‌पुत्र प्रदीप राणा। किशन राणा जहां सामाजिक कार्यों के दम पर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं, वहीं उनके पुत्र प्रदीप साइकिल यात्रा और पौधरोपण से अफ्रीका में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाकर क्षेत्र का नाम विदेश में रोशन कर रहे हैं।

 समाज के प्रति समर्पित डॉ. किशन राणा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में लंबे समय से कार्य कर रहे हैं। उनके इसी कार्य को देखते हुए उन्हें कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एसडीजी पुरस्कार से सम्मानि किया है। वहीं प्रदीप भी अपने पिता के नक्शेकदम पर चलकर विदेश में उत्तराखंड की संस्कृति का प्रचार प्रसार करने के साथ पौधरोपण कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित कर रहे हैं। प्रदीप ने वर्ष 2017 से साइकिल भ्रमण की शुरुआत की, और इंडिया टूर पर गए। साइकिल से उन्होंने लगभग पूरे देश का भ्रमण किया। वर्ष 2019 में प्रदीप ने एशिया के 10 देशों के टूर की शुरुआत की। नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, थाईलैंड, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया होते हुए वह वर्ष 2020 की शुरूआत में मलेशिया पहुंचे। कोविड महामारी के कारण वह मलेशिया में तीन महीने लॉकडाउन में फंसे रहे और सिंगापुर का भ्रमण नहीं कर सके। मलेशिया से वह भारत लौट आए और दो साल तक महामारी का असर खत्म होने का इंतजार किया। इस साल कोरोना का असर कम होने पर उन्होंने फिर से विश्व भ्रमण की शुरुआत कर दी है। मई में वह विश्व टूर के तहत अफ्रीका को रवाना हुए थे। वर्तमान में प्रदीप अफ्रीका के केन्या शहर में हैं। एक महीने तक वह केन्या के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण और पौधरोपण करेंगे। केन्या से वह यूगांडा को रवाना होंगे। इस साल वह बुरुंडी, तंजानिया, जांबिया, मोजा‌ंबिक होते हुए साउथ अफ्रीका तक का भ्रमण करेंगे। अफ्रीका में वह तीन साल के दौरान 54 देश और करीब 40 हजार किमी की साइक्लिंग कर पौधरोपण करेंगे और लोगों को भारत की सांस्कृतिक विविधिता से भी परिचित कराएंगे।

दोस्त बनाने में माहिर प्रदीप केन्या में बिखेर रहे चमक

प्रदीप राणा लोगों से बहुत जल्दी घुलमिल जाते हैं। उनका व्यवहार और आकर्षक बातें लोगों को आकर्षित करती हैं। इसी स्किल का उन्हें केन्या में लाभ मिल रहा है। वहां के लोगों को वह कभी कुमाऊंनी-गढ़वाली गीतों पर नाचने को मजब‌ूर करते हैं तो कभी बॉलीवुड फिल्मों के बारे में बातें करते हैं। प्रदीप ने बताया कि केन्या में हिंदी फिल्मों और गीतों को लेकर लोगों को अच्छी जानकारी है। लोग भारत के लोगों से भी प्यार करते है। यात्रा के दौरान हर जगह उनका लोग गर्मजोशी से स्वागत कर रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी मुहिम को अपार समर्थन दे रहे हैं।

एडीजी पुरस्कार के साथ डॉ किशन सिंह राणा (दाएं से दूसरे)