देश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले पवन कुमार चामलिंग और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के प्रमुख को पोकलोक-कामरांग और नामचेयबुंग विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा है। सिक्किम में पांच बार मुख्यमंत्री बनकर 25 साल तक शासन करने वाले चामलिंग को अपने शिष्य से चिर प्रतिद्वंद्वी बने प्रेम सिंह तमांग की एसकेएम के हाथों करारी हार मिली। करीब 40 वर्षों में यह पहला मौका है जब पूर्व सीएम विधानसभा में नहीं पहुंच सके हैं।
रविवार को आए सिक्किम विधानसभा चुनाव के नतीजे में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने 32 सीट में से 31 पर जीत दर्ज की जबकि सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) केवल एक सीट जीत सकी। 73 वर्षीय एसडीएफ प्रमुख चामलिंग दो सीटों पर चुनाव लड़े और उन्हें दोनों पर हार का सामना करना पड़ा।
विधानसभा चुनाव के नतीजे एसडीएफ समर्थकों के लिए चौंकाने वाले हो सकते हैं, लेकिन एक समय राज्य के मुद्दों को लेकर मुखर रहने वाले एक शक्तिशाली क्षत्रप चामलिंग का पतन पांच साल पहले ही शुरू हो गया था।
1993 में चामलिंग ने एसडीएफ की स्थापना की और 1994 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाई। चामलिंग का राजनीति कद लगातार बढ़ता रहा। उन्होंने 1999, 2004, 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में एसडीएफ को सफलतापूर्वक जीत दिलाई और लगातार पांच बार सीएम बने। हालांकि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने चामलिंग के 25 साल के शासन को समाप्त कर दिया।
2019 में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के नेता प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व में सरकार गठन के बाद चामलिंग ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। 2019 में चामलिंग की पार्टी के 10 विधायक उन्हें छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे और उसी महीने 2 विधायक सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा में शामिल हो गए थे। इससे बाद अपनी पार्टी में चामलिंग अकेले ही विधायक बचे थे।