बागेश्वर। जिले के अंतिम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम सिंह चौहान का निधन हो गया है। उन्होंने 102 साल की उम्र में शरीर त्यागा। कुछ दिन पूर्व खेत में काम करते वक्त उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। उनके पुत्र गिरीश सिंह उन्हे जिला अस्पताल लेकर आए थे। उपचार के बाद उनकी सेहत में सुधार होने की बात कही जा रही थी, लेकिन शनिवार सुबह उनका निधन हो गया है। सेनानी चौहान के निधन पर जिलेवासियों ने शोक जताया है।
गरुड़ तहसील क्षेत्र के पासतोली निवासी राम सिंह चौहान आजाद हिंद फौज के जांबाज सिपाही रहे हैं। वह गढ़वाल राइफल में तैनाती के दौरान ही सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ उन्होंने आजादी के आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था।
22 फरवरी 1922 को जन्मे राम सिंह चौहान के खून में ही वीरता भरी है। पिता तारा सिंह वर्ष 1940 में गढ़वाल राइफल्स के पौड़ी गढ़वाल में तैनात थे। इनके पिता ने पहला विश्व युद्ध लड़ा था। राम सिंह भी पिता की तरह वीर सैनिक थे. वह गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे. देश में आजादी का आंदोलन चल रहा था, तभी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित होकर राम सिंह चौहान वर्ष 1942 में अपने साथियों के साथ सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए। उन्होंने नेताजी के साथ मलाया, सिंगापुर, बर्मा आदि स्थानों पर देश की आजादी की लड़ाई लड़ी। नेताजी के साथ मिलकर अंग्रेजों से दो-दो हाथ किए। अंग्रेजों की जेल में रहे यातनाएं सहीं, लेकिन अंग्रेजों के सामने झुके नहीं। वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेनानी राम सिंह को ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया था। राम सिंह 101 साल तक स्वस्थ रहे हैं।