बागेश्वर। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “शिक्षा में मातृभाषा- अवसर एवं चुनौतियां” का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ जगत सिंह बिष्ट, कुलपति सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा ने किया।
मुख्य अतिथि डॉ बिष्ट ने कहा की जन्म से हम जिस भाषा का प्रयोग करते हैं वही हमारी मातृभाषा होती है। सभी संस्कार एवं व्यवहार हम इसी से पाते हैं। यह हमारी पहचान और अस्मिता से जुड़ी हुई होती है।
डाइट के प्राचार्य डॉ शैलेंद्र धपोला ने विभिन्न लुप्त होती क्षेत्रीय भाषाओं पर चिंता व्यक्त की और कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मातृभाषा को अधिक महत्व से अपने पाठ्यक्रम में समाहित करेगी।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर आशुतोष कुमार ने कहा कि बच्चे को विषयों की जितनी बेहतर समझ अपनी मातृभाषा में होती है उतनी शायद ही अन्य किसी भाषा में । मातृभाषा ही मौलिक लेखन, चिंतन या रचनात्मकता को पैदा करती है और विश्व में मौलिकता का विशेष महत्व है । उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि आज भी राजकाज और सभी प्रकार के शासकीय कार्यों की भाषा अंग्रेजी ही बनी हुई है और जबकि बार-बार विभिन्न नीतियां मातृभाषा की महत्ता को उजागर करती है अतः ऐसे में यह आवश्यक है की मातृभाषा को राजकाज की भाषा में शामिल किया जाए।
कार्यक्रम के समन्वयक डा केएस रावत और डा राजीव जोशी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य समग्र और बहु विषयक तथा बहुभाषिक दृष्टिकोण के माध्यम से भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक विशिष्ट परिवर्तन लाना है, छोटी कक्षाओं से ही परिवेश या मातृभाषा में शिक्षण के महत्व की स्वीकार्यता से ही परिवेश और समाज में स्वाभिमान का भाव पैदा होता है। मातृ भाषा शिक्षण तथा मातृभाषा में शिक्षण के स्तर पर हिंदी तथा अन्य देशी भाषाओं या स्थानीय बोली भाषा का अध्ययन अध्यापन शिक्षण में किस प्रकार से हो रहा है इस विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में चिंतन मनन होगा और शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में एससीईआरटी उत्तराखण्ड के अपर निदेशक श्री आर. डी. शर्मा, प्रथम दिवस के मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर आशुतोष कुमार, हिंदी विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय सीसीआरटी के पूर्व निदेशक श्री गिरीश चंद्र जोशी, प्रभारी मुख्य शिक्षा अधिकारी श्री चक्षुष्पति अवस्थी मौजूद रहे।
प्रथम दिवस के प्रथम तकनीकी सत्र में 7 तथा द्वितीय तकनीकी सत्र में 10 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए ।
शोध पत्र प्रस्तुत करने वालों में डॉ शंकर सिंह, डॉ केएन बिजलवान, डॉक्टर पिंकी पांडे, डॉ रोहिताश कुमार, डॉक्टर डी एन भट्ट, श्री मदन सुयाल, डॉ नेहा भाकुनी, डॉक्टर कृपाल सिंह आदि ने शोध पत्र प्रस्तुत किए ।
कार्यक्रम में संगोष्ठी में जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात तथा विभिन्न प्रांतों के शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए ।
कार्यक्रम के प्रथम दिवस का संचालन अलग अलग सत्रों में रवि कुमार जोशी, डा प्रेम सिंह मावड़ी, संदीप कुमार जोशी, डा बी. डी. पांडे ने किया। कार्यक्रम में 100 से भी अधिक शिक्षकों एवं 70 डी.एल.एड. प्रशिक्षुओं एवं शहर के अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने प्रतिभागिता की ।कार्यक्रम में डा सी.एम जोशी, डा हरीश जोशी, संदीप कुमार जोशी, डा मनोज कुमार, डा मनोज पांडे, पूजा तिवारी, तनुजा जोशी, दीप चन्द्र जोशी, श्री चन्द्र प्रकाश मिश्रा आदि उपस्थित रहे ।