कमल कवि कांडपाल
बागेश्वर। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन में हुई बड़ी गड़बड़ी के बाद सरकार ने सबक तो लिया और कागजों में भर्ती परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए तमाम दावे और बड़ी जुगत भी कर ली। लेकिन फिर भी भर्ती आयोगों में बैठै लोगों ने ही सरकार के दावों और जुगत पर बट्टा लगाकर फिर से एक बार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया।
यूके एसएससी में हुई भर्ती धांधली और पेपर लीक मामलों ने उत्तराखंड में हो रही भर्तियों का जिम्मा यूके पीसीएस के पाले में सौंप दिया और बड़े इंतजामात भी कर डाले बावजूद इसके भी पटवारी लेखपाल भर्ती का पेपर लीक हो गया। जिससे साबित होता है कि सरकार या उनके भर्ती आयोगों में बैठै लोग युवाओं के भविष्य और राज्य में बढ़ती बेरोजगारी के प्रति बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं हैं। बीते 8 जनवरी को हुए पटवारी लेखपाल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने से राज्य के लाखों बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। यूके एसएससी पेपर लीक के बाद सरकार की सक्रियता और बेरोजगार युवाओं के प्रति जाहिर हुई गंभीरता और सरकार के कागजी दावों से झलकते इरादों पर से पर्दा उठ गया है। राज्य का बेरोजगार युवा दिन रात मेहनत करने के बावजूद भी जहां भर्ती परीक्षाओं में सफल नहीं हो पा रहा है वहीं सरकार के नाकामयाब व्यवस्थाओं से बड़ रहे पेपर लीक के मामले राज्य के बेरोजगार युवाओं को आने वाले भविष्य के लिए नाउम्मीद कर रहा है। राज्य का युवा खुद को ठगा महसूस कर रहा है। एसटीएफ की कार्रवाई के बाद पटवारी लेखपाल भर्ती की परीक्षा को रद्द कर दुबारा करवाने की तारीख तय करने के बाद राज्य के बेरोजगारों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई है। कुल मिलाकर सरकार और लोक सेवा आयोग के लिए दावे केवल खबरों तक ही सीमित रहे। जहां इन दावों को धरातल पर उतारना था वहीं आयोग में के ही अधिकारियों ने सेंध लगाकर सरकार को फिर कठघरे में खड़ा किया है।