बागेश्वर । सचिव आपदा विनोद कुमार सुमन ने रविवार को कपकोट में आपदा ग्रस्त इलाकों का स्थलीय निरीक्षण कर जायजा लिया। सचिव ने कपकोट में केदारेश्वर मैदान के आस-पास होने वाले बाढ़ सुरक्षा के कार्यों का निरीक्षण किया। इस दौरान सचिव ने केदारेश्वर मैदान के समीप एनडीआरएफ भवन का भी निरीक्षण किया।
जवानों को रहने खाने-पीने की व्यवस्थाओं को देखा। सचिव ने एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर सपन दुबे को निर्देशित किया कि आपदा के दृष्टिगत जवानों को हर गांव में भेजकर लोगों को आपदा से राहत एवं बचाव कार्य के लिए प्रशिक्षण देकर जागरूक करें। उल्लेखनीय है कि इन दिनों आपदा को लेकर कपकोट में एनडीआरएफ के 34 जवानों की टीम को तैनात किया गया। जिन्हें कपकोट से हर गांव में भेजने के निर्देश सचिव ने दिए। ताकि गांव के लोग आपदा घटित होने पर राहत एवं बचाव को लेकर प्रशिक्षित हो सके। इस दौरान एनडीआरएफ के जवानों द्वारा स्थानीय संसाधन से बनाएं गए आपदा बचाव उपकरणों का प्रदर्शन किया गया। जिसमें पानी की खाली बोतलों से बनाई गई बोतल राफ्ट,तेल के खाली कनस्तर से निर्मित टिन राफ्ट,थर्माकोल से बनाई गई लाइफ जैकेट औऱ दो खाली बर्तनों से बनाई गई हांडी राफ्ट का प्रदर्शन किया। सचिव ने इस अभिनव कार्य के लिए एनडीआरएफ की प्रशंसा की और इसका प्रशिक्षण हर गांव में भी देने को कहा।
तद्पश्चात सचिव ने क्षेत्रीय विधायक सुरेश गड़िया, जिला पंचायत जिलाध्यक्ष बसंती देव,डीएम अनुराधा पाल एवं अन्य अधिकारियों के साथ आपदा ग्रस्त क्षेत्रों का निरीक्षण किया। सचिव ने हरसिंघाबगड़, काफली कमेड़ा मोटर मार्ग,सौंग-बड़ेत सड़क मार्ग का निरीक्षण करते हुए पीडब्ल्यूडी और पीएमजीएसवाई के अधिकारियों को अवरूद्ध सड़क मार्ग को तेजी के साथ सुचारू करने के निर्देश दिए। तथा स्थाई जरूरी सुरक्षात्मक कार्यों के लिए प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। अतिवृष्टि के कारण उक्त सभी सड़क मार्ग जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हुए है। आबादी क्षेत्र मुनार में सरयू नदी के कटाव से बाढ़ सुरक्षा के कार्य किए जाने की ग्रामीणों द्वारा मांग की गई। इसके बाद सचिव आपदा विनोद कुमार सुमन ने विधानसभा कपकोट में आपदा से क्षतिग्रस्त हुई परिसम्पत्तियों को लेकर अधिकारियों,क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ तहसील सभागार में बैठक की। सचिव ने अवरुद्ध सड़क मार्गों को यातायात के लिए तुरंत बहाल करने के निर्देश पीडब्ल्यूडी, पीएमजीएसवाई निर्माण विभाग को दिए। सचिव ने कहा कि अतिवृष्टि से सड़क मार्ग पर को सुचारू करने तथा मलबा को तत्काल हटाने के लिए शासन से जिले को धनराशि दी जा चुकी है। जिन मशीनों का भुगतान नही हुआ है उनका सत्यापन करके भुगतान की कार्रवाई की जाए। सचिव ने कहा कि गांव में बिजली,पानी की आपूर्ति सुचारु रखी जाए। क्षतिग्रस्त बिजली और पेयजल लाइनों को ठीक किया जाए। सचिव ने अधिकारियों को आगाह करते हुए कहा कि वास्तविक रूप से क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों के ही योजनाओं के प्रस्ताव भेजे जाय, यदि परीक्षण के उपरांत प्रस्ताव गलत पाये गये तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जायेगा। डीएम ने सचिव को अवगत कराते हुए कहा कि विधानसभा कपकोट के सड़क मार्ग के चिन्हित संवेदनशील स्थानों पर जेसीबी मशीनों की तैनाती की गई है। विभागों द्वारा आपदा से हुई परिसम्पत्तियों के नुकसान के आगणन बनाएं जा रहें है। जल संस्थान,पीडब्ल्यूडी,पीएमजीएसवाई, सिंचाई विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए गए है। जिलाधिकारी ने बताया कि विभागों को 15 दिन के भीतर आपदा मानकों के अनुरूप क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों के प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए है।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शिखा सुयाल ने विधानसभा कपकोट में आपदा प्रबंधन के तहत किए गए प्रबंधनों और इंतजामों के बारे में जानकारी दी। साथ ही उन्होंने अब तक कपकोट में आपदा से हुई क्षति के बारे अवगत कराया। उन्होंने कहा कि वर्तमान तक 142 पशुओं की हानि हुई है। तथा दो आवासीय पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए है और 7 आवास तीक्ष्ण औऱ 40 भवन आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए है।इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव, विधायक सुरेश गड़िया, अपर जिलाधिकारी एनएस नबियाल,उपजिलाधिकारी अनुराग आर्या,मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ कुमार आदित्य तिवारी, जिला पंचायत सदस्य प्रभा गड़िया, विक्रम शाही,मुख्य शिक्षा अधिकारी जीएस सौन, ईई लोनिवि एके पटेल, सिंचाई जगत सिंह बिष्ट, पीएमजीएसवाई अमरीष रावत, तहसीलदार आरएस बिष्ट, आपदा प्रबंधन अधिकारी शिखा सुयाल समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे