बागेश्वर। कृषि विज्ञान केंद्र काफलीगैर में एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं कृषक रबी महोत्सव का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ जिपं अध्यक्ष बसंती देव, दर्जा राज्य मंत्री शिव सिंह बिष्ट, विधायक सुरेश गड़िया व जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया व विभागीय स्टॉलों का निरीक्षण करते हुए विभिन्न जानकारियां ली। इस दौरान 06 कृषि रथों को भी रवाना किया गया, जो जनपद के 35 न्याय पंचायतों में भ्रमण कर कृषकों को जानकारी के साथ ही बीज व रसायन यंत्र आदि भी उपलब्ध कराएंगे।
कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को आधुनिक कृषि से रूबरू कराने के साथ, कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने, फसल उत्पादन में रासायनिकों के प्रयोग को कम करने, जल संसाधनों का कुशल उपयोग, गुणवत्ता, मात्रा और उत्पादन की कम लागत के लिये आधुनिक कृषि पद्धतियों का प्रसार करने से सम्बंधित अनेक विषयों पर प्रशिक्षण एवं गोष्ठी का आयोजन किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र में कृषि कार्यों में तकनीकी के परीक्षण, प्रदर्शन, प्रशिक्षण व प्रसार के साथ ही कृषकों को आधुनिक खेती के माध्यम से फसली पैदावार बढ़ाने सहित आधुनिक खेती के माध्यम से वैज्ञानिक आधार पर खेती की जानकारियां कृषि वैज्ञानियों द्वारा दी गई।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जिपं अध्यक्ष बसंती देव ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों को वैज्ञानिक खेती के आधार पर आधुनिक खेती की उचित जानकारी किसानों को दी जा रही है, वही किसान अपनी पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों से उचित सलाह ले पा रहे हैं, जो एक सराहनीय पहल है। उन्होंने कहा कि किसान जैविक खेती के साथ ही प्राकृतिक खेती कर अपनी आर्थिकी मजबूत करे। उन्होंने मोटा अनाज उत्पादन करने की भी अपील की, साथ ही सरकार द्वार संचालित योजनाओं का लाभ उठाने को भी कहा।
किसानों को सम्बोधित करते हुए विधायक सुरेश गड़िया ने कहा कि आज का युग आधुनिकता का युग है, हमारा देश कृषि आधारित देश है, किसान ही देश का अन्नदाता होता है, किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार लगातार कलस्टर के माध्यम से लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हुई है, किसानों को आधुनिक खेती के माध्यम से पलायन को रोका जा सकता है, साथ ही पलायन कर चुके कई लोग आज अपने गाँवो में लौटकर कृषि बागवानी और उद्यानीकरण के माध्यम से आत्मनिर्भर बनकर लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मृदा परीक्षण के साथ ही उन्नत बीज भी अति आवश्यक है, तभी अच्छा उत्पादन होगा। उन्होंने समेकित खेती के साथ ही प्राकृतिक एवं जैविक खेती करने का आह्वान किया, ताकि किसानों की आय दोगुनी हो सके।
दर्जा राज्य मंत्री शिव सिंह बिष्ट ने कहा कि कृषि, उद्यान व पशुपालन पहाड की आजीविका की रीढ है, इसलिए सभी काश्तकार वैज्ञानिक तकनीक से कृषि कार्य कर उत्पादकता बढाएं। उन्होंने कृषि के साथ ही पशुपालन, मौन, मत्स्य, कुक्कुट पालन कर अपनी आजीविका में वृद्धि करेंं। उन्होंने कलस्टर के रूप में खेती करने पर भी बल दिया।
जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने कहा कि जिले के काश्तकारों को कृषि के क्षेत्र में उन्नत बनाने के लिए समय-समय पर कृषि उद्यान विभागों के साथ ही कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जागरूकता शिविर आयोजित कर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। वही किसानों को जिला प्रशासन द्वारा उनकी रुचि आधारित फसली बागवानी और उद्यानीकरण के लिए उचित सहयोग प्रदान किया जा रहा है। जिले में कई किसान उद्यानीकरण के द्वारा आत्मनिर्भर बन जिले का नाम भी रोशन कर रहे हैं। कहा कि किसी भी प्रकार से किसानों को खेतीबाड़ी में कोई समस्या ना आए इसके लिए अधिकारियों को किसानों की समस्याओं का प्रमुखता से निदान करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी आरसी तिवारी, ब्लॉक प्रमुख कपकोट गोविंद सिंह दानू, गरूड हेमा बिष्ट, जिलाध्यक्ष भाजपा इंद्र सिंह फर्श्वान, कृषि वैज्ञानिक डॉ राजकुमार, डॉ कमल कुमार पांडे द्वारा भी संबोधित किया गया। कृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य व डेयरी विभाग के अधिकारियों द्वारा अपने विभागीय योजनाओं की विस्तृत जानकारियां दी गयी। कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान बालम सिंह मिरौला ने भी अपने अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम में ब्लाक प्रमुख बागेश्वर पुष्पा आर्या, कनिष्ठ प्रमुख पुष्पा रौतेला, जिपं सदस्य नवीन नमन, चंदन रावत, रवी करायत, मथुरा प्रसाद, परियोजना निदेशक शिल्पी पंत, जिला विकास अधिकारी संगीता आर्या, मुख्य कृषि अधिकारी डॉ गीतांजलि बंगारी, जिला उद्यान अधिकारी आरके सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ कमल पंत, सहायक निदेशक दुग्ध अनुराध मिश्रा, रिप आरिफ खांन, मत्स्य अधिकारी मनोज मियान, अधिशासी अभियंता सिंचाई केके जोशी, लघु सिंचाई विमल सुंठा, खंड विकास अधिकारी आलोक भंडारी, ख्याली राम सहित अन्य अधिकारी, जनप्रतिनिधि, प्रगतिशील किसान एवं कृषक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ हरीश जोशी ने किया।