फर्जी पहचान के सहारे रह रहा बांग्लादेशी युवक महिला के साथ गिरफ्तार, पुलिस ने बरामद किए कई नकली डॉक्यूमेंट

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पुलिस ने ऑपरेशन ‘कालनेमि’ के तहत बड़ी सफलता हासिल करते हुए एक बांग्लादेशी युवक और उसकी सहायता करने वाली त्यूणी निवासी महिला को गिरफ्तार किया है। दोनों लंबे समय से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर देहरादून में रह रहे थे और पहचान छिपाकर जीवन व्यतीत कर रहे थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नेहरू कॉलोनी थाना पुलिस और एलआईयू को सूचना मिली थी कि एक युवक अवैध तरीके से भारत में प्रवेश कर महिला के साथ नेहरू कॉलोनी क्षेत्र में रह रहा है। दबिश के दौरान युवक ने अपना वास्तविक नाम ममून हसन, निवासी मेहरपुर (बांग्लादेश) बताया जबकि महिला ने रीना चौहान, निवासी त्यूणी (उत्तरकाशी) के रूप में पहचान बताई।
जांच में खुलासा हुआ कि दोनों की पहचान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के माध्यम से हुई थी। वर्ष 2019 से 2021 के दौरान ममून तीन बार टूरिस्ट वीजा पर भारत आया और रीना से मुलाकात की। वर्ष 2022 में वह रीना को अवैध रूप से सीमा पार कराकर बांग्लादेश ले गया, जहां दोनों ने निकाह किया। निकाह के बाद वे अवैध रूप से भारत लौट आए और देहरादून के अलग-अलग किराए के कमरे बदल–बदलकर रहने लगे।
आरोप है कि रीना ने अपने पूर्व पति सचिन चौहान के नाम पर ममून के लिए आधार, पैन और अन्य पहचान पत्र तैयार करवाए। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ममून देहरादून के एक क्लब में सचिन चौहान बनकर बाउंसर की नौकरी कर रहा था। पुलिस ने दोनों से फर्जी दस्तावेज बरामद करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस का कहना है कि फर्जी पहचान तैयार कराने की प्रक्रिया में अन्य लोग भी शामिल रहे हैं, जिनकी खोज जारी है।
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि ऑपरेशन ‘कालनेमि’ के तहत जिले में अवैध रूप से रह रहे लोगों की सत्यापन अभियान के जरिए पहचान की जा रही है। अब तक 16 बांग्लादेशी नागरिकों पर कार्रवाई की जा चुकी है, जिनमें 9 को डिपोर्ट और 7 को जेल भेजा गया है। उन्होंने कहा कि ममून जिन–जिन लोगों की मदद से फर्जी पहचान बनवाता रहा है, उन सभी पर भी कानूनी शिकंजा कसा जाएगा।