बाबा बागनाथ धाम में सामूहिक होली की महफिल सजी। कई गांवों से आई होल्यारों की टोली ने खड़ी होली गायन का भगवान शिव की स्तुति की। ढोलक और मंजीरों की थाप पर होल्यारों ने अनूठे लय और ताल के साथ होली गायन कर समा बांधा।
बागनाथ मंदिर में करीब एक बजे से होल्यारों का जुटना शुरू हुआ। इससे पूर्व सभी क्षेत्रों से आई होल्यारों की टोली चौक बाजार में एकत्र हुई। जहां से ढोलक-मंजीरे की धुन पर नाचते-गाते होल्यार बागनाथ मंदिर को रवाना हुए। आरे, मनकोट, द्यांगण, खोली, बहुली, अमतोड़ा, स्यूनी, मजबे, चामी, क्वैराली, सात, रतबे, जौलकांडे, भयेड़ी, बिलौना सहित तमाम गांवों के होल्यार बारी-बारी से मंदिर में एकत्र हुए। होल्यारों ने भगवान शिव को अबीर और गुलाल अर्पित किया।
होल्यारों ने हां जी शंभो तुम क्यों न खेले होरी लला…, शिव के मन माही बसे काशी…, मथुरा के ठाकुर हो हो… आदि होली गीतों का गायन किया। करीब तीन घंटे तक मंदिर में होली गायन का सिलसिला चला।